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Om Namah Shivaya: The Mysterious Healing Power of the Panchakshara Mantra and Tridosha Balance |
- जब एक मंत्र मन को छू जाए...
- पंचाक्षर मंत्र क्या होता है?
- त्रिदोष क्या होते हैं, और हमारे शरीर में कैसे काम करते हैं?
- हर अक्षर का दोषों से रिश्ता: गहराई से समझें
- मंत्र और हमारे चक्रों का तालमेल
- मंत्र जप की सरल और असरकारी विधि
- क्या विज्ञान भी इसे मानता है?
- प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख
- दिनचर्या में कैसे शामिल करें?
- एक साधक का अनुभव... (सच्ची बात)
- निष्कर्ष: पंचाक्षर मंत्र से आत्मशांति और शरीर संतुलन
नोट - यहां से लेख प्रारंभ होता है:
1. जब एक मंत्र मन को छू जाए...
कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो बार-बार कानों में गूंजते हैं। शुरुआत में हम उन्हें बस यूँ ही सुनते हैं। फिर धीरे-धीरे लगता है कि ये कोई शब्द नहीं, बल्कि कोई भीतर से उठी पुकार है।
"ॐ नमः शिवाय" — ऐसा ही एक मंत्र है।
इस मंत्र को जब कोई बार-बार बोलता है,
तो वो शब्द धीरे-धीरे शरीर की नसों में,
मन की धड़कनों में, और
आत्मा की गहराई में उतरने लगता है।
2. पंचाक्षर मंत्र क्या होता है?
"ॐ नमः शिवाय" को पंचाक्षर मंत्र कहा जाता है।
क्योंकि इसमें पाँच अक्षर होते हैं:
👉 न, म, शि, वा, य
इन पाँच अक्षरों के पीछे एक रहस्य है,
एक गहरा विज्ञान, और साथ ही एक शिवत्व का भाव।
हर अक्षर, कोई ना कोई ऊर्जा जगाता है,
कोई ना कोई अंग छूता है,
और शरीर में एक नई हरकत पैदा करता है।
ये मंत्र किसी धर्म, संप्रदाय या परंपरा तक सीमित नहीं है।
ये मंत्र एक साधक का अपने भीतर के शिव से संवाद है।
3. त्रिदोष क्या होते हैं, और हमारे शरीर में कैसे काम करते हैं?
आयुर्वेद, जो कि भारत की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है,
वह कहती है कि हमारे शरीर में तीन मूल तत्व हैं —
इन्हें कहते हैं त्रिदोष:
1. वात (Vata) – हवा तत्व:
गति, संचार, सांस, विचार
2. पित्त (Pitta) – अग्नि तत्व:
पाचन, ताप, ऊर्जा, साहस
3. कफ (Kapha) – जल व पृथ्वी तत्व:
स्थिरता, स्निग्धता, सहनशीलता
अब अगर इन तीनों का संतुलन बना रहे, तो इंसान स्वस्थ रहता है।
लेकिन ज़रा सा भी संतुलन बिगड़ा —
तो यही दोष रोगों का कारण बन जाते हैं।
4. हर अक्षर का दोषों से रिश्ता: गहराई से समझें
अब जानते हैं कि "ॐ नमः शिवाय" का हर अक्षर
इन त्रिदोषों को कैसे छूता है:
न – स्थिरता और कफ का जागरण
यह अक्षर धरती और जल तत्व को सक्रिय करता है।
जब कोई "न" उच्चारित करता है,
तो शरीर में जड़ता हटती है,
और सहनशक्ति बढ़ती है।
कफ-दोष वाले लोग, जिन्हें भारीपन, आलस्य, या गले की समस्या होती है —
उनके लिए "न" का कंपन बहुत उपयोगी है।
म – पोषण और भावनात्मक संतुलन
"म" ध्वनि हृदय क्षेत्र में कंपन करती है।
ये भावनाओं को नरम बनाती है,
और कफ दोष को संतुलित रखती है।
अगर कभी मन बहुत भारी लगे, तो "म" को गूंजते हुए दोहराना
दिल को हल्का कर देता है।
शि – पित्त का साम्य और आत्मबल
"शि" का उच्चारण नाभि क्षेत्र को ऊर्जा देता है —
जो कि हमारा मणिपुर चक्र है।
यही चक्र आत्मविश्वास, निर्णय, और ऊर्जा से जुड़ा है।
जिन लोगों को गुस्सा ज्यादा आता है,
या पेट में बार-बार जलन रहती है,
"शि" मंत्र उन्हें धीरे-धीरे ठंडा करता है।
वा – वायु तत्व और जीवन-गति
"वा" उच्चारण से हमारे फेफड़े, सांस और रीढ़ को ऊर्जा मिलती है।
यह वात दोष को संतुलन में लाता है।
जिनके मन में बेचैनी, घबराहट या तनाव रहता है,
उनके लिए "वा" एक औषधि के समान है।
य – अंतरिक्ष तत्व और ध्यान शक्ति
"य" का कंपन गले और माथे के बीच महसूस होता है।
यह हमारे विशुद्ध चक्र और आज्ञा चक्र को प्रभावित करता है।
यह शब्द विचारों को स्पष्ट करता है,
और ध्यान को गहराई देता है।
5. मंत्र और हमारे चक्रों का तालमेल
हर चक्र हमारे जीवन के एक भाव को संभालता है —
और यह मंत्र इन चक्रों पर इस प्रकार असर करता है:
- मूलाधार (जड़ चक्र): "न"
- स्वाधिष्ठान (प्रजनन): "म"
- मणिपुर (नाभि): "शि"
- अनाहत (हृदय): "वा"
- विशुद्ध (गला) + आज्ञा (मस्तिष्क): "य"
मतलब — सिर्फ मंत्र बोलने से ही
आपका पूरा चक्र तंत्र एक्टिवेट हो जाता है।
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Om Namah Shivaya: The Mysterious Healing Power of the Panchakshara Mantra and Tridosha Balance |
कोई कठिन नियम नहीं हैं।
आप जब चाहें, जहाँ चाहें — इस मंत्र को जप सकते हैं।
फिर भी, अधिक लाभ के लिए:
1. सुबह-सुबह या रात को सोने से पहले समय चुनें
2. कोई शांत जगह पर बैठें
3. रीढ़ सीधी रखें, आँखें बंद करें
4. सांस गहरी लें और “नमः शिवाय” बोलें
5. एक माला (108 बार) से शुरुआत करें
6. मंत्र को सुनें, महसूस करें, जल्दी न करें
इस मंत्र में शब्दों से ज्यादा भाव की ताकत है।
भाव शुद्ध हो, तो मंत्र चमत्कार कर सकता है।
7. क्या विज्ञान भी इसे मानता है?
हाँ, आधुनिक विज्ञान अब धीरे-धीरे उस बात को मानने लगा है
जो हमारे ऋषि-मुनि सदियों से कहते आ रहे हैं।
Sound Therapy अब एक चिकित्सा पद्धति बन चुकी है
Brainwaves (Alpha, Theta) शांत होती हैं मंत्र-जप से
Vagus nerve stimulation – जो पूरे शरीर को शांत करता है
Heart rate, blood pressure तक संतुलित होने लगता है
मतलब — "ॐ नमः शिवाय" सिर्फ आस्था नहीं, एक मेडिकल थैरेपी भी है।
8. प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख
यजुर्वेद में इस मंत्र को “सर्वरोगहारी” कहा गया है
शिवपुराण में कहा गया है कि जो इस मंत्र का जप करता है,
उसे शिव के समान शांत, सम और सर्वगुणसंपन्न बना देता है
विज्ञान भैरव तंत्र में ध्वनि और बीज मंत्रों की चिकित्सा शक्ति का वर्णन है
9. दिनचर्या में कैसे शामिल करें?
अगर आप व्यस्त हैं, तब भी आप इस मंत्र को अपनी दिनचर्या में ला सकते हैं:
- सुबह जागते ही 11 बार बोलें
- स्नान करते हुए मंत्र मन में दोहराएं
- गाड़ी चलाते समय धीरे-धीरे जप करें
- रात को सोने से पहले 5 मिनट इसका ध्यान करें
10. एक साधक का अनुभव... (सच्ची बात)
मैंने खुद ये मंत्र तब अपनाया,
जब जीवन में एक अनजाना डर हर समय साथ रहने लगा था।
हर सुबह “ॐ नमः शिवाय” बोलते हुए
मैंने जाना कि
डर बाहर का नहीं होता —
वो भीतर की ऊर्जा की गड़बड़ी होती है।
आज भी जब बेचैनी होती है,
बस आँखें बंद करता हूँ, और ये पाँच अक्षर खुद-ब-खुद अंदर गूंजने लगते हैं।
लगता है जैसे शिव कह रहे हों —
"मैं यहीं हूँ। तू बस सुन।"
11. निष्कर्ष: पंचाक्षर मंत्र से आत्मशांति और शरीर संतुलन
"ॐ नमः शिवाय" कोई चमत्कारी मंत्र नहीं है बल्कि ये एक यात्रा है — बाहर से भीतर की तरफ।
यह मंत्र:
- हमारे दोषों को संतुलित करता है
- मन को शांति देता है
- ध्यान को गहराई देता है
- और आत्मा को दिशा
अगर आप इसे नियम से, श्रद्धा से और अपनत्व से जपें तो ये मंत्र सिर्फ शब्द नहीं रहेगा, बल्कि आपका साथी, चिकित्सक, और मार्गदर्शक बन जाएगा।
अगर आप ये लेख पढ़ कर इस अनमोल मंत्र का का जप करते हैं और आपको अपने स्वास्थ में कुछ अच्छे अनुभव महसूस होते हैं तो हमें कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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