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Gurdjieff Philosophy: How to Awaken Consciousness and Break Free from Mechanical Living |
1. भूमिका – जब जीवन नींद जैसा लगे
क्या तुम्हें कभी ऐसा लगा है कि दिन बीतते जा रहे हैं, काम चलते जा रहे हैं, लोग आते-जाते रहते हैं, लेकिन भीतर कोई जागृति नहीं है? जैसे ज़िंदगी एक तरह की ऑटोमैटिक मशीन बन गई हो — सुबह उठना, काम पर जाना, बातें करना, खाना, सोना और फिर वही दोहराव। हम सोचते हैं कि हम सब कुछ अपनी मर्ज़ी से कर रहे हैं, लेकिन सच यह है कि ज़्यादातर काम हम आदतों, परिस्थितियों और प्रतिक्रियाओं के हिसाब से करते हैं।
यही जगह है जहाँ गुरजिएफ हमें झकझोर कर जगाते हैं। उनका कहना था —
👉 “मनुष्य सोया हुआ है, और उसे सबसे पहले खुद को जगाना होगा।”
उनकी नज़र में हम में से ज़्यादातर लोग वास्तव में जाग्रत प्राणी नहीं, बल्कि नींद में चल रहे इंसान हैं। हमारी चेतना गहरी नींद में है, और हम सिर्फ अपने दिमाग और शरीर की प्रोग्रामिंग से चलते हैं।
गुरजिएफ की यही सोच उन्हें अद्भुत बनाती है। उन्होंने साधना का ऐसा रास्ता दिखाया जिसे गुरजिएफ ध्यान विधियां कहा जाता है। ये साधारण ध्यान से अलग थीं — इनमें शरीर, मन और आत्मा तीनों को साथ लेकर चलने की कला छुपी थी।
इस लेख में हम देखेंगे कि गुरजिएफ कौन थे, उनके विचार कैसे थे, उनकी ध्यान विधियां क्या थीं, उन्होंने क्या सिखाया, उनके प्रसिद्ध उद्धरण (Gurdjieff Quotes Hindi) कौन-कौन से हैं, और कौन-सी किताबें in Hindi उपलब्ध हैं।
शुरुआत अभी हुई है, लेकिन यकीन मानो — अगर तुम इसे अंत तक पढ़ोगे, तो तुम भी खुद से पूछोगे:
👉 “क्या मैं सच में जागा हुआ हूँ, या अब भी सो रहा हूँ?”
2. गुरजिएफ कौन थे? – एक रहस्यपूर्ण साधक की खोज
गुरजिएफ का पूरा नाम था जॉर्ज इवानोविच गुरजिएफ (George Ivanovich Gurdjieff)। उनका जन्म 1866 (कुछ स्रोत 1877 भी मानते हैं) में आर्मेनिया के अलेक्ज़ांद्रापोल नामक शहर में हुआ था, जो उस समय रूस साम्राज्य का हिस्सा था। वे एक ऐसे परिवार में पैदा हुए जहाँ धार्मिक विविधता थी — पिता ग्रीक वंश से थे और माँ आर्मेनियन। इस मिश्रण ने बचपन से ही उनके मन में जीवन और ईश्वर को लेकर गहरी जिज्ञासा जगा दी।
बचपन से ही उन्हें एक सवाल परेशान करता था — “मनुष्य क्यों जन्म लेता है? मृत्यु के बाद क्या होता है? और क्या कोई ऐसा ज्ञान है जो सब रहस्यों को सुलझा सके?”
इन्हीं सवालों ने उन्हें एक ऐसी यात्रा पर भेजा जिसने उन्हें जीवनभर का खोजी बना दिया।
गुरजिएफ ने अपने युवावस्था के साल एशिया, तिब्बत, मिस्र, भारत, अफगानिस्तान, और मध्य एशिया के रहस्यमयी इलाकों में साधकों, सूफ़ियों, योगियों और गूढ़ परंपराओं के लोगों से मिलने में बिताए। कहा जाता है कि उन्होंने कई वर्षों तक गुप्त आश्रमों और मठों में ध्यान और साधना की गहराई सीखी।
उनकी यात्राओं और अनुभवों का विवरण बाद में उनकी प्रसिद्ध किताब “Meetings with Remarkable Men” में मिलता है। यह किताब सिर्फ जीवनी नहीं, बल्कि उन अनोखे लोगों का परिचय है, जिनसे मिलकर उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान पाया।
धीरे-धीरे गुरजिएफ ने समझा कि उनका असली उद्देश्य है — सोए हुए मनुष्य को जगाना। उन्होंने यूरोप लौटकर अपने शिष्यों को सिखाना शुरू किया कि जीवन का मकसद केवल जीना नहीं, बल्कि जागरूक होकर जीना है।
गुरजिएफ का व्यक्तित्व रहस्य से भरा हुआ था। वे साधारण शिक्षक की तरह नहीं, बल्कि एक ऐसे गुरु थे जो शिष्यों को गहराई से inner work (अंदरूनी साधना) कराना चाहते थे। उनकी कक्षाएँ कठोर होती थीं, लेकिन उनमें प्रेम और करुणा भी छुपी होती थी।
यूरोप और अमेरिका में उनके शिष्यों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ी, और वे पश्चिमी दुनिया के उन पहले गुरुओं में से गिने जाते हैं जिन्होंने पूर्व और पश्चिम के ज्ञान का अद्भुत संगम कराया।
3. गुरजिएफ के विचार – सोए हुए मनुष्य को जगाने का आह्वान
गुरजिएफ का मानना था कि इंसान सोचता है कि वह स्वतंत्र और जाग्रत है, लेकिन सच्चाई यह है कि हम ज़्यादातर समय एक मशीन की तरह जीते हैं। हमारे काम, हमारी प्रतिक्रियाएँ, हमारी भावनाएँ — ये सब हमारे भीतर की पुरानी आदतों और बाहरी परिस्थितियों से संचालित होती हैं।
वे कहते थे:
👉 “मनुष्य सोया हुआ है। वह समझता है कि वह जानता है, लेकिन वास्तव में वह अज्ञान के अंधेरे में भटक रहा है।”
उनके विचारों के मुख्य सूत्र:
1. मनुष्य एक मशीन है
हम आदतन जीते हैं, हमारी प्रतिक्रियाएँ ऑटोमैटिक हैं।
जब तक हम इस मशीन जैसी अवस्था को पहचान नहीं लेते, तब तक आत्मिक स्वतंत्रता संभव नहीं।
2. आत्म-स्मरण (Self-Remembering)
हर क्षण खुद को याद रखना — “मैं कौन हूँ, मैं अभी क्या कर रहा हूँ।”
यह साधना हमें नींद जैसी स्थिति से बाहर लाती है और हमें वास्तविक चेतना की ओर ले जाती है।
3. चौथा मार्ग (The Fourth Way)
उन्होंने कहा कि आत्मजागरण के तीन पारंपरिक मार्ग हैं:
फ़कीर (शरीर पर नियंत्रण),
भिक्षु (भक्ति और भावनाओं पर नियंत्रण),
योगी (मन पर नियंत्रण)।
लेकिन ये मार्ग अक्सर जीवन से दूर ले जाते हैं।
उनका “चौथा मार्ग” था — साधारण जीवन जीते हुए आत्मजागरण। यानी परिवार, काम और रोज़मर्रा की ज़िम्मेदारियों के बीच भी ध्यान और जागरूकता संभव है।
4. अंदरूनी काम (Inner Work)
सच्ची साधना बाहर नहीं, भीतर होती है।
हमें अपनी सोच, भावनाओं और ऊर्जा पर काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा: “स्वतंत्रता वहीं से शुरू होती है, जहाँ तुम यह देखना शुरू करते हो कि तुम कैदी हो।”
5. जागरूक पीड़ा (Conscious Suffering)
साधना आसान नहीं, इसमें मेहनत और अनुशासन चाहिए।
गुरजिएफ मानते थे कि जो पीड़ा हम जागरूकता से सहते हैं, वही हमें बदलती है और हमें वास्तविक शक्ति देती है।
गुरजिएफ के विचारों का सार यही है कि मनुष्य के भीतर अपार क्षमता है, लेकिन वह सोई हुई है। जागरूकता से ही उस क्षमता को जगाया जा सकता है।
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Gurdjieff Philosophy: How to Awaken Consciousness and Break Free from Mechanical Living |
4. गुरजिएफ ध्यान विधियां – मूवमेंट्स और आत्म-स्मरण
गुरजिएफ साधारण ध्यान गुरु नहीं थे। उन्होंने ऐसी अनूठी ध्यान विधियां विकसित कीं जो सिर्फ आँखें बंद करके बैठने तक सीमित नहीं थीं। उनकी विधियों में शरीर, मन और ऊर्जा – तीनों का संतुलन शामिल था। उनका मानना था कि जब तक साधक पूरे अस्तित्व को साधना में नहीं लाता, तब तक वास्तविक जागृति संभव नहीं।
1. आत्म-स्मरण (Self-Remembering)
यह गुरजिएफ की सबसे प्रसिद्ध ध्यान विधि थी।
इसमें साधक हर क्षण खुद को यह याद दिलाता है:
👉 “मैं कौन हूँ? मैं अभी क्या कर रहा हूँ?”
साधारण-सा प्रश्न लग सकता है, लेकिन यही हमें नींद जैसी अवस्था से जगाता है।
जब इंसान अपने हर कार्य को जागरूक होकर करता है — खाना, चलना, बोलना — तभी वह धीरे-धीरे चेतना की ऊँचाई तक पहुँचता है।
2. मूवमेंट्स (Movements Meditation)
गुरजिएफ ने विशेष नृत्य और शारीरिक मुद्राएँ विकसित की थीं जिन्हें वे Movements कहते थे।
ये साधारण नृत्य नहीं थे, बल्कि गणितीय और आध्यात्मिक संतुलन पर आधारित क्रियाएँ थीं।
इनमें संगीत, लय और शारीरिक अनुशासन का मेल होता था।
इन मूवमेंट्स का उद्देश्य था — शरीर, मन और भावनाओं को एक धारा में लाना ताकि साधक पूरी तरह से जागरूक हो सके।
3. समूह साधना (Group Work)
उनका मानना था कि अकेले साधना करना कठिन है, इसलिए उन्होंने समूह में काम करने पर ज़ोर दिया।
जब कई लोग साथ मिलकर मूवमेंट्स करते या आत्म-स्मरण का अभ्यास करते, तो एक विशेष ऊर्जा का निर्माण होता जो साधकों को भीतर से बदल देती।
4. जागरूक कार्य (Conscious Labor)
साधारण काम जैसे चलना, सफाई करना, खाना बनाना — ये भी ध्यान बन सकते हैं अगर उन्हें जागरूक होकर किया जाए।
गुरजिएफ कहते थे कि जीवन का हर क्षण ध्यान की प्रयोगशाला है।
5. जागरूक पीड़ा (Conscious Suffering)
ध्यान सिर्फ शांति पाने का साधन नहीं, बल्कि आदतों और अहंकार को तोड़ने की प्रक्रिया भी है।
इसके लिए साधक को अपनी सुविधाओं से बाहर निकलना पड़ता है। यही “जागरूक पीड़ा” है, जो साधना को गहराई देती है।
👉 सारांश यह है कि गुरजिएफ ध्यान विधियां साधारण ध्यान से अलग थीं।
यहाँ सिर्फ मन को नहीं, बल्कि पूरे अस्तित्व को साधना में लगाया जाता था। उनके लिए ध्यान का मतलब था — हर क्षण जागरूक रहना।
5. Gurdjieff Quotes Hindi – जब शब्द झकझोर दें
गुरजिएफ सिर्फ एक गुरु ही नहीं, बल्कि एक गहरे दार्शनिक भी थे। उनके शब्द सीधे दिल को नहीं, बल्कि आत्मा को छूते हैं। कई बार उनके वचन हमें झकझोर देते हैं, क्योंकि वे हमारी गहरी नींद पर चोट करते हैं। यहाँ कुछ प्रसिद्ध Gurdjieff Quotes (हिंदी अनुवाद में) दिए जा रहे हैं:
1. “मनुष्य सोया हुआ है। जागना ही उसका पहला धर्म है।”
2. “स्वतंत्रता वहीं से शुरू होती है, जहाँ तुम यह देखना शुरू करते हो कि तुम कैदी हो।”
3. “लोग सोचते हैं कि वे जी रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि वे सिर्फ सो रहे हैं और सपने देख रहे हैं।”
4. “अगर तुम वास्तव में जानना चाहते हो कि तुम कौन हो, तो पहले यह देखो कि तुम क्या नहीं हो।”
5. “जागरूक पीड़ा ही मनुष्य के भीतर वास्तविक परिवर्तन लाती है।”
6. “मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन उसका खुद का स्वचालित जीवन है।”
7. “आत्म-स्मरण ही सच्ची प्रार्थना है।”
8. “मनुष्य तब तक कुछ भी नहीं सीख सकता, जब तक वह यह न समझे कि वह कुछ नहीं जानता।”
ये उद्धरण साधारण वाक्य नहीं हैं। अगर तुम इन्हें ध्यान से पढ़ो, तो ये भीतर सवाल जगाते हैं:
“क्या मैं भी नींद में जी रहा हूँ? क्या मैं खुद को सचमुच जानता हूँ?”
6. गुरजिएफ किताबें in Hindi
प्रमुख किताबें:
1. “जीवन के साथ और असाधारण मनुष्यों के साथ मुलाक़ातें” (Meetings with Remarkable Men)
इसमें उन्होंने अपनी यात्राओं और उन अनोखे लोगों का वर्णन किया है जिनसे उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान मिला।यह सिर्फ आत्मकथा नहीं है, बल्कि एक रहस्यपूर्ण यात्रा है जो साधक को प्रेरित करती है।
2. “बील्ज़ेबब की कहानियाँ उसके पोते को” (Beelzebub’s Tales to His Grandson)
यह उनकी सबसे प्रसिद्ध और गूढ़ किताब है।इसमें ब्रह्मांड, मनुष्य और जीवन के रहस्यों पर गहरी दृष्टि मिलती है।
इसे पढ़ना आसान नहीं है, लेकिन यह साधक के सोचने के तरीके को पूरी तरह बदल सकती है।
3. “सब और हर चीज़ के बारे में” (All and Everything – Trilogy)
यह तीन भागों में लिखी उनकी विशाल कृति है।इसमें आध्यात्मिकता, दर्शन और जीवन की गहराई का अद्भुत संगम है।
4. गुरजिएफ के शिष्यों की पुस्तकें
गुरजिएफ के सबसे नज़दीकी शिष्यों में से एक पी. डी. ऑस्पेंस्की (P.D. Ouspensky) ने उनकी शिक्षाओं को गहराई से दर्ज किया।उनकी प्रसिद्ध पुस्तक “In Search of the Miraculous” में गुरजिएफ के विचारों और चौथे मार्ग (Fourth Way) की व्याख्या बेहद रोचक ढंग से मिलती है।
यह किताब उन लोगों के लिए मार्गदर्शक की तरह है जो पहली बार गुरजिएफ के सिद्धांतों को समझना चाहते हैं।
सौभाग्य से इसका हिंदी अनुवाद भी उपलब्ध है, जिससे हिंदी पाठकों को इन शिक्षाओं तक आसानी से पहुँच मिलती है।
हिंदी में उपलब्धता
आजकल कई प्रकाशकों ने गुरजिएफ और उनके शिष्यों की किताबों का हिंदी संस्करण प्रकाशित किया है।अगर आप शुरुआत करना चाहते हैं तो “मुलाक़ातें असाधारण मनुष्यों से” तथा “चमत्कार की खोज में” जैसी किताबें एक उपयुक्त आरंभ साबित होंगी।
याद रखें, गुरजिएफ की रचनाएँ केवल पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि जीवन में उतारने और अनुभव करने के लिए हैं।
उनकी असली शक्ति तभी खुलती है जब साधक उन्हें व्यवहार में लाता है।
7. निष्कर्ष – आज के समय में गुरजिएफ की प्रासंगिकता
आज की दुनिया में इंसान पहले से कहीं ज्यादा व्यस्त, तनावग्रस्त और बिखरा हुआ है। मोबाइल, सोशल मीडिया और काम की दौड़ ने हमें और भी ज़्यादा ऑटोमैटिक मशीन बना दिया है। हम सोचते हैं कि हम खुद फैसले ले रहे हैं, लेकिन असल में हमारी आदतें और बाहरी परिस्थितियाँ हमें चला रही हैं।
यहीं पर गुरजिएफ की शिक्षा आज भी उतनी ही ज़रूरी है जितनी सौ साल पहले थी।
उनका आत्म-स्मरण (Self-Remembering) हमें याद दिलाता है कि हर क्षण सचेत होकर जीना ही ध्यान है।
उनका चौथा मार्ग (The Fourth Way) बताता है कि हमें साधना के लिए जंगल या आश्रम भागने की ज़रूरत नहीं — घर-परिवार, नौकरी और रोज़मर्रा के जीवन में भी हम आध्यात्मिक जागृति पा सकते हैं।
उनके मूवमेंट्स और समूह कार्य (Movements & Group Work) आज भी दुनिया भर में हज़ारों साधकों को जागरूकता की ओर ले जा रहे हैं।
गुरजिएफ का संदेश सीधा है:
“अगर तुम सचमुच जीना चाहते हो, तो पहले जागो। जागरूकता ही जीवन का पहला और अंतिम धर्म है।”
अंतिम संदेश
गुरजिएफ हमें यह एहसास कराते हैं कि जीवन सिर्फ जीने के लिए नहीं, बल्कि जागने के लिए है।
जब हम आदतों की नींद से बाहर आते हैं, तभी हमें पता चलता है कि असली स्वतंत्रता, असली आनंद और असली प्रेम क्या है।
तो दोस्त, अगर तुम गुरजिएफ की शिक्षा को अपने जीवन में उतारना चाहते हो, तो छोटा-सा कदम उठाओ
आज से ही हर काम करते हुए खुद से पूछो:
👉 “मैं अभी क्या कर रहा हूँ? क्या मैं सच में जागा हुआ हूँ?”
यही सवाल धीरे-धीरे तुम्हें उस मार्ग पर ले जाएगा जहाँ गुरजिएफ हमें बुलाते हैं — जागरूकता, स्वतंत्रता और सच्ची आत्म-ज्ञान की ओर।
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